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कुछ तो है पाया मेरे ज़ज्बात्तों ने  क्या खूब खेल खेला,  फिर से एक मुसीबत में डाला  , महावीर के उसूलों से अपने को तोल डाला,  बात खुद तक थी तब तक सही किन्तु इसने तो समाज तक तो तोल डाला खेल खेल में ही सही ! सत्य को सिंहासन से उतरा पाया, अहिंसा को हिंसा में डूबा पाया, अस्तेय को सत्य और अहिंसा के पुजारियों ने ही बेच खाया, और अपरिग्रह को सत्ता के नशे में डूबा पाया, तभी पता चला ब्रहचर्य का, जिसे किसी कूड़े में लहू लुहान पाया l  "Bin Ro" जीवन का सार तो महावीर ने कुछ और ही बतलाया, पर मैने जो सीखा और देखा वो ही में बयां कर पाया, नहीं जान पाया में उन शब्दों को जिनमे , महावीर ने भव से भव को पार लगाया l  पञ्च महाव्रतों का असर, महावीर ने करके दिखलाया, सत्य, अहिंसा, अस्तेय, अपरिग्रह, ब्रहचर्य! फिर, वही प्रश्न व स्वयं को वहीँ का वहीँ पाया, कि किनको कितना में अभी तक जान पायाl  तभी मेरे बंधू सखा ने मुझे जगाया और, जज्बातों के खेल से मुझे तौबा करवाया! पर एक नए एहसास ने इस दिन मनोभा...
हर वक़्त रूह के  आगे  तम्मनाए  बहती  रहती  है जैसे  रेगिस्तान  में  माटी  बहती  रहती  है उसे  एहसास  है  की  कुछ  दुरी  पे  ही  है  मंज़िल  मेरी पर  ये  सिलसिला  यूँही  क्यों  चलता  रहता  है ! बिना  रुके  बिना  थके  मंज़िल  के  इंतजार  में  बढ़ते  रहते  है फिर  भी  न  दुरी  कम  होती  है  न  मज़िल  पास  होती  है कुछ  करने  की  न  किसी  से  डरने ख्वाहिशे  है  जो  कहती  रहती  है दो  कदम  और  चल  ले क्योकि आगे  बढ़ने  से  ही नई सोच पल्लवित  होती है "Bin Ro" बिन रोए हसीं की  मस्ती  बस  यही  गुनगुनाती  रहती  है हर वक़्त रूह के आगे  तम्मनाए बहती  रहती  है हर दिन के  उज्जाले से  फिर  भी...

जीवन

copied... जीवन एक बगीचे के जैसे है इसे जितनी मेहनत और लगन से सींचेंगे उतना ही हरा-भरा होगा। यदि बगीचे की मिट्टी पहले से उपजाऊ है तो उसमें थोड़ी सी मेहनत से अच्छे फल-फूल आते हैं, परंतु यदि ऐसा नहीं है तो मेहनत ज्यादा करनी होती है। कुछ ऐसा ही हमारे जीवन के साथ भी है यदि हमें भाग्य का साथ मिला हुआ है परिस्थितियाँ अनुकूल हैं तो लक्ष्य आसानी से प्राप्त हो जाता है। परंतु यदि ऐसा नहीं है तो कोई बात नहीं ज्यादा मेहनत करेंगे, थोड़ा ज्यादा इंतजार करेंगे पर लक्ष्य तो हासिल करके ही रहेंगे। ईश्वर सदा हमारे साथ हैं

Jodhpur - Old n Gold Memories

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Object taken from Friends profile (Marudhar Kumbhat)   high court  Fort   jodhpur drawing made by painter patrick young waugh in 1829 old jodhpur fort     1880's jodhpur  fort   1940's jodhpur
An Indian man walks into the New York City bank and asks for the loan officer. He tells the Loan Officer that he was going to India for some business for 2 weeks and needs to borrow $5,000. The Loan Officer tells him that the bank will need Some form of security for the loan. So the Indian man hands over the keys and the documents of the new Ferrari car parked on the street in front of the bank. The loan officer consults the president of the bank, Produces all the required items and everything check out to be OK. The loan officer agrees to accept the car as a security for the loan. The bank president and the Loan Officer had a good laugh at the Indian For keeping a $750,000 Ferrari as a security and taking only $5,000 has a loan. An employee of the bank then drives the Ferrari Into the banks underground garage and parks it there. Two weeks later the Indian returns and pays $5000 and the interest which comes to it $15.41. Seeing this, loan officer says, “Sir, we are very happy to have ...